Thursday, April 25, 2024
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कल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजीव गाँधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले से गरमा गई है चर्चा , जानें क्यों और कैसे की गई थी हत्या , कौन हैं हत्यारे 

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दिल्ली ,12 नवंबर ( धमीजा ) : सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले ने लोगों को स्तब्ध कर दिया है और मामले को लेकर चर्चा गरमा गई है। 11 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले के सातवें दोषी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में ही रिहा कर दिया था।

आईये जानते हैं राजीव गाँधी की हत्या क्यों और कैसे की गई थी

 ह्त्या से पूर्व हत्यारों ने बाकायदा दो बार इसकी रिहर्सल की थी। 12 मई 1991 को धनु नाम की एक लड़की ने तमिलनाडु में एक बैठक को संबोधित करने पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के पैर छुए।

9 दिन बाद, यानी 21 मई 1991 को उसी धनु ने तमिलनाडु के ही श्रीपेरंबदूर में देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पैर छुए तो एक बड़ा बम धमाका हुआ, जिसमें राजीव की मौत हो गई। धनु एक मानव बम थी, जिसे LTTE ने राजीव की  हत्या के लिए चुना था। Rajiv Gandhi Assassination: How Did Rajiv Gandhi's Killers Get Released? - Rajiv  Gandhi Assassination: राजीव गांधी के हत्यारों को किस नियम की वजह से मिली  रिहाई, 31 साल में कब क्या हुआ? -

जानें आखिर क्यों की गई थी राजीव गाँधी की हत्या

4 जून 1987 को सुबह के 8 बजे थे। भारतीय वायुसेना के पांच An-32 मालवाहक विमानों ने आगरा एयरबेस से बैंगलोर के लिए उड़ान भरी। उनके साथ 6 मिराज-2000 युद्धक विमान भी थे। शाम करीब 3 बजे भारत के विदेश मंत्री नटवर सिंह ने दिल्ली में श्रीलंका के राजदूत को तलब करके चेतावनी दी कि हमारे विमान शाम 4 बजे जाफना के लोगों के लिए खाने-पीने के सामान के साथ कपड़े, टेंट और दवाएं गिराएंगे।

अगर श्रीलंकाई सेना ने इन्हें रोकने की कोशिश की तो हम पूरी ताकत से जवाब देंगे। An-32 तब भारत के सबसे बड़े मालवाहक विमान थे और मिराज सबसे ताकतवर हवाई लड़ाके। इसके बाद तय वक्त पर पांचों An-32 ने घूम-घूमकर जाफना पर राहत सामग्री गिराई और श्रीलंकाई सेना चुपचाप बैठी रही।

यह वही समय था जब पाकिस्तान, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका से मिले हथियारों के बूते ताकतवर हुई श्रीलंकाई सेना ने अल्पसंख्यक तमिलों के गढ़ जाफना को घेर लिया था। सिंघली भाषा बोलने वाले बहुसंख्यकों के अत्याचारों से परेशान होकर तमिलों ने हथियार उठा रखे थे। वे अलग देश की मांग कर रहे थे और उनकी अगुआई कर रहे थे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE के लड़ाके। प्रभाकरण LTTE का ताकतवर नेता था।

तब के भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस एक्शन से डरे श्रीलंका के राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने ने कूटनीति का एक जाल फेंका और 29 जुलाई 1987 को श्रीलंका में शांति लाने के नाम पर भारत-श्रीलंका के बीच एक समझौता किया।

समझौते के तहत भारतीय सेना को दोनों पक्षों के बीच शांति बनाए रखने और तमिल गुटों से हथियार डलवाने थे, लेकिन LTTE इसके लिए राजी नहीं हुआ। धीरे-धीरे श्रीलंकाई सेना और LTTE के बीच की ये जंग भारतीय सेना और LTTE के बीच की जंग में बदल गई। सैकड़ों भारतीय जवान शहीद हुए और सैकड़ों घायल हो गए।

राजीव के पुनः प्रधानमंत्री बनने से बुरी तरह घबरा गई थी लिट्टे

इधर, बोफोर्स घोटाले की छाया में हुए 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस हार गई और राजीव गांधी सत्ता से बाहर हो गए। ‌BJP के समर्थन से जनता दल पार्टी की सरकार बनी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन गए। 1990 में वीपी सिंह ने श्रीलंका से शांति सेना वापस बुला ली। अक्टूबर 1990 में अयोध्या के करीब कारसेवकों पर गोलीबारी किए जाने के विरोध में भाजपा  ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, लेकिन चंद्रशेखर की सरकार अल्पमत की सरकार थी, इसलिए मई 1991 तक देश में आम चुनावों की आहट आने लगी। उस समय माना जा रहा था कि राजीव गांधी का सत्ता में आना तय है। इसी आहट ने लिट्टे नेता प्रभाकरण को डरा दिया। उसे लगा कि राजीव की वापसी, श्रीलंका में भारतीय सेना की वापसी होगी।

 ‘ऑपरेशन वेडिंग’नाम दिया था इस हत्याकांड को 

पत्रकार नीना गोपाल ने अपनी किताब ‘द असैसिनेशन ऑफ राजीव गांधी’ में लिखा है कि राजीव के हत्या को LTTE ने ‘ऑपरेशन वेडिंग’ नाम दिया था। LTTE प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने नवंबर 1990 में राजीव की हत्या की योजना बनाई।

पत्रकार अनिरुद्ध मित्रा ने अपनी किताब ‘नाइंटी डेज: ‘द ट्रू स्टोरी ऑफ द हंट फॉर राजीव गांधीज असैसिंस’ में लिखा है, ‘नेशनल फ्रंट सरकार (वीपी सिंह सरकार) गिरने से पहले ही LTTE ने ये मन बना लिया था कि राजीव को सत्ता में लौटने से रोकना है भले ही इसके लिए उनकी हत्या ही करनी पड़े।’

…21 मई 1991 यानी राजीव की हत्या से पहले ऐसे की थी रिहर्सल 

राजीव गांधी की हत्या करने वाली LTTE की आत्मघाती हमलावर धनु नाम की महिला थी। राजीव को मारने से पहले धनु ने दो बार इसका ड्राई रन, यानी रिहर्सल किया था। पहली बार उसने AIADMK की दिवंगत नेता जयललिता की एक रैली में इसकी प्रैक्टिस की।

दूसरा रिहर्सल उसने राजीव की हत्या से ठीक 9 दिन पहले तमिलनाडु में ही पूर्व PM वीपी सिंह और DMK नेता करुणानिधि की एक रैली के दौरान किया था। धनु ने इस रैली में पहुंचकर वीपी सिंह के पैर छुए थे। धनु रिहर्सल से ये देखना चाहती थी कि क्या बड़े नेता के मंच के पास, यानी हाई सिक्योरिटी वाले D एरिया में उनके पैर छुए जा सकते हैं। पैर छूने के दौरान नेता को माला पहनाने और इसी दौरान बम का बटन दबाकर धमाका करने की योजना थी।

क्या हुआ था 21 मई 1991 को

21 मई 1991 को रात के करीब 10 बजे राजीव गांधी तमिलनाडु की राजधानी मद्रास (अब चेन्नई) से 40 किलोमीटर दूर स्थित श्रीपेरंबदूर में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे। रैली में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग गैलरियां थीं। राजीव पहले पुरुषों की गैलरी की ओर गए और फिर महिलाओं की गैलरी की तरफ बढ़े।

पत्रकार नीना गोपाल ने लिखा है, ‘तमिलनाडु पुलिस की महिला दरोगा अनुसुइया को 21 मई को श्रीपेरंबदूर में राजीव की रैली में उनके मंच के सामने यानी D एरिया की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली थी। वहां VIP पास लिए कुछ लोग खड़े थे। वहां ढीला-ढाला सलवार सूट पहने, बड़ा सा चश्मा लगाए और हाथों में चंदन की माला लिए खड़ी एक लड़की को देखकर अनुसुइया को अजीब लगा तो उन्होंने राजीव के आने से पहले उसे भीड़ में पीछे की ओर धकेल दिया। राजीव के आने पर वो लड़की फिर से आगे आ गई। अनुसुइया ने उस लड़की का हाथ पकड़ लिया, लेकिन तभी राजीव गांधी की आवाज आई, ‘चिंता मत कीजिए, सबको आने दीजिए’ और अनुसुइया के हाथों की पकड़ ढीली पड़ गई।’

कुछ ही देर बाद वो लड़की राजीव के पास पहुंची और उन्हें चंदन की माला पहनाई और उनके पैर छूने के लिए झुकी और इसी दौरान अपने कपड़ों के अंदर पहनी हुई बम वाली बेल्ट का बटन दबा दिया और तेज धमाके के साथ चारों तरफ खून बिखर गया। वो लड़की LTTE की मानव बम धनु थी और उसने राजीव के पास पहुंचकर खुद को बम से उड़ा लिया था। इस धमाके में राजीव और मानव बम धनु समेत 14 लोगों की मौत हो गई।

जानिए राजीव गांधी के हत्यारों के बारे में Special Story : A complete story of Rajiv Gandhi Assassination | ऐसे रची गई  थी राजीव गांधी की हत्या की साजिश - दैनिक भास्कर हिंदी

राजीव गांधी की आत्मकथा लिखने वाले मिन्हाज मर्चेंट ने अपनी किताब ‘राजीव गांधी: एंड ऑफ ए ड्रीम’ में लिखा है कि राजीव की हत्या करने वाले LTTE के कोर ग्रुप में आठ कोर मेंबर थे। इनके साथ एक फोटोग्राफर भी था।

आठ लोगों के कोर ग्रुप में मानव बम धनु, शिवारसन, मुरुगन, अरिवु, शुभा और तीन स्थानीय लोग भाग्यनाथन, नलिनी और पद्मा शामिल थीं। घटनास्थल पर पांच लोग मौजूद थे-धनु, शिवारसन, नलिनी, शुभा और एक फोटाग्राफर हरिबाबू। हरिबाबू धमाके के समय तस्वीरें खींच रहा था और धमाके में धनु के साथ मारा गया था, बाकी तीन लोग वहां से भाग निकले थे।

घटनास्थल पर मौजूद लोगों में से केवल नलिनी ही जिंदा पकड़ी गई। बाकी के लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। शिवारसन ने खुद को गाली मार ली थी, जबकि बाकियों ने सुरक्षा एजेंसियों के उन तक पहुंचने से पहले ही साइनाइड चाटकर सुइसाइड कर लिया था।Rajiv Gandhi Assassination Case Supreme Court Directs Release Of Convicts  Including Nalini Srihar RP Ravichandran | Rajiv Gandhi Case: राजीव गांधी  हत्या प्रकरणातील नलिनी, रविचंद्रनसह सर्व सहा ...

फोटोग्राफर हरिबाबू की धमाके में मौत हो गई थी, लेकिन उसके खींचे फोटोग्राफ 24 मई 1997 को मामले की जांच के लिए गठित SIT के लिए अहम सबूत साबित हुए। हरिबाबू ने राजीव की हत्या से ठीक पहले तक इस साजिश में शामिल शिवारसन और मानव बम धनु की हर गतिविधियों की तस्वीरें खींची थीं।

26 दोषियों में से किसे मिली सज़ा और रिहाई 

इस मामले में 1998 में चेन्नई की एक कोर्ट ने 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 लोगों को रिहा कर दिया। कोर्ट ने तीन लोगों- जय कुमार, रॉबर्ट पायस और रविचंद्रन की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला और चार लोगों नलिनी, उसके पति मुरुगन, संथान और एजी पेरारिवलन की मौत की सजा बरकरार रखी गई।

2000 में सोनिया गांधी और तमिलनाडु सरकार की अपील पर राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने बाकी तीन दोषियों-मुरुगन, संथान और एजी पेरारिवलन की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

इस मामले में कई विवाद भी हुए। 2006 में पेरारिवलन ने अपनी आत्मकथा ‘एन अपील फ्रॉम द डेथ रो’ में दावा किया कि उस पर दबाव डालकर झूठा बयान दिलवाया गया था।

2013 में सामने आया कि जिस बयान की वजह से पेरारिवलन को सजा हुई, वो झूठा था। पेरारिवलन का बयान लेने वाले CBI के पूर्व इंवेस्टिगेशन SP वी त्यागराजन ने 2013 में एक इंटरव्यू में कहा कि पेरारिवलन ने ये कभी नहीं कहा था कि वह ये जानता था कि उसने जो बैटरी खरीदी थी उसका इस्तेमाल राजीव को मारने के लिए बनाए जाने वाले बम में किया जाएगा। CBI के SP त्यागराजन ने माना था कि उन्होंने पेरारिवलन का बयान बदल दिया था।

18 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया था। अब 11 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 30 साल से ज्यादा सजा काट चुके छह अन्य दोषियों नलिनी, संथान, मुरुगन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और आरपी रविचंद्रन को भी रिहा कर दिया है।