कृषि कानून मामले में झुके मोदी , किसानों में बढ़ा और आत्मविश्वास , कहा जारी रहेगा आंदोलन
नई दिल्ली , 19 नवंबर ( धमीजा ) : पिछले 14 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बाद आज भले ही केंद्र सरकार झुक गयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुपर्व पर कृषि कानून वापिस लेने की घोषणा की , लेकिन इसके बाद भी मामला इतनी आसानी से थमता नज़र नहीं आ रहा। किसान नेताओं का मानना है कि पंजाब एवं उतर प्रदेश के होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र सरकार ने उक्त घोषणा की है।बिना बातचीत के ही पीएम मोदी ने सीधे इसकी घोषणा कर दी। लेकिन किसान नेता चुनावों में सरकार की इस घोषणा का फायदा भाजपा को नहीं लेने देना चाहते। यही वजह है कि कृषि कानून वापसी की घोषणा के बावजूद आंदोलन को जारी रखने के लिए MSP, बिजली बिल में अमेंडमेंट और सीड बिल की मांगें उठाते हुए आंदोलन जारी रखने की बात कही है। हालांकि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद किसानों ने जगह जगह जीत का जश्न मनाया लेकिन साथ ही साथ ये ऐलान भी किया कि इसका राजनैतिक लाभ भाजपा को नहीं लेने देंगे।
किसान नेता योगेंद्र यादव ने भाजपा को इसके बेनिफिट के सवाल पर कहा कि जिन्होंने किसानों पर लाठियां बरसाईं। उन्हें गालियां दीं। उन्हें आतंकवादी तक कहा, उसे किसान कैसे भूल सकते हैं। भाजपा को सिर्फ चुनाव और वोटों की बात समझ आती है। दिल्ली बॉर्डर से किसान घर लौटेंगे या नहीं, यह जिम्मा उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग पर छोड़ दिया।
5 राज्यों में होने वाले चुनाव में पंजाब और यूपी अहम
देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब शामिल हैं। किसानों के लिहाज से सबसे अहम राज्य पंजाब और यूपी हैं। पंजाब में अधिकांश किसान और लोग भी आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में थे। इसलिए अगर आंदोलन जारी रहा तो पंजाब में भाजपा का बड़ा सियासी नुकसान होगा। वहीं उत्तर प्रदेश सीटों के लिहाज से बड़ा प्रदेश है, जिसका लोकसभा चुनाव पर भी बड़ा असर रहता है। किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले अधिकांश नेता इन्हीं 2 राज्यों से हैं। अगर आंदोलन जारी रहा तो भाजपा के लिए सियासी मुश्किल जारी रहेगी।
चर्चा है कि कुछ किसान नेता आंदोलन को 5 राज्यों में होने और 2024 तक जिंदा रखने की कोशिश में हैं, ताकि लोकसभा चुनाव में भी इस मुद्दे पर भाजपा को घेरा जा सके। पंजाब के किसान नेता इन्हीं कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए थे। उनकी तरफ से पीएम मोदी के कृषि कानून वापस लेने के फैसले पर आंदोलन को लेकर सहमति नजर आ रही है।