Sunday, April 28, 2024
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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए : वेदप्रताप वैदिक

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नई दिल्ली, 1 मार्च ( धमीजा ) : वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए। वह आज यहां प्रगति मैदान में किताब वाले प्रकाशन समूह के स्टाल पर राकेश पाण्डेय द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘ हिन्दी और आठवीं अनुसूची विमर्श ‘ पुस्तक के विमोचन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बोलियों को खण्ड – खण्ड में बांटकर हिन्दी भाषा को कमजोर किया जा रहा है। बोलियां खंभे हैं और हिन्दी भाषा छत है। हिन्दी हजारों बोलियों का समुच्चय है। फिर भी हिन्दी की आवाज मंद होती जा रही है। यह चिन्ता जनक है। विदेशी भाषा पढ़ना चाहिए लेकिन अनिवार्य नहीं होनी चाहिए।
इस अवसर पर हिन्दी की लड़ाई लड़ने वाले मूर्धन्य साहित्यकार प्रेम पाल शर्मा ने बेबाकी से कहा कि भाषा की लड़ाई सरकार के समक्ष कटोरा फैलाने की कोशिश नहीं बल्कि अपने हक की लड़ाई है। दुर्भाग्य यह कि संसद से साहित्य अकादमी तक अंग्रेजी का बोलबाला हो रहा है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ लेखक और भाषाविद ओम निश्चल ने हिन्दी की अनिवार्यता बढ़ाने पर जोर दिया।
पुस्तक के सम्पादक राकेश पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी को बचायेंगे तभी समाज बचेगा। हमारा किसी भाषा विशेष से विरोध नहीं है बल्कि हिन्दी के उत्तरोत्तर विकास की चाहत है। इस अवसर पर किताब वाले प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशान्त जैन ने कहा कि हिन्दी के विकास के लिए जो कुछ भी करना पड़े, हम पुरजोर प्रयास करेंगे। समारोह को वरिष्ठ साहित्यकार अनिल जोशी और कवि पवन विजय ने भी सम्बोधित किया। समारोह में काफी संख्या में साहित्यकार और गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।