Saturday, April 27, 2024
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हरियाणा की कंपनी कर रही थी भागलपुर में गिरे पुल का निर्माण, 2014 में शुरू हुआ था 1700 करोड़ के इस प्रोजेक्ट का काम

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पंचकूला , 5 जून ( धमीजा ) : बिहार के भागलपुर में गिरे पुल के तार हरियाणा से जुड़ गए हैं। पुल निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी हरियाणा के पंचकूला की है। लगभग 1700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा 3 किलोमीटर से अधिक लंबा पुल इससे पहले 2022 में भी गिर चुका है। ये कंपनी बिहार में कई अन्य बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रही है।

बताया जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद बिहार से एक टीम जांच के लिए पंचकूला पहुंच सकती है। हालांकि पंचकूला की ठेका लेने वाली एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारी इस घटना के बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन कंपनी इस घटना की जांच करेगी और उसके बाद ही कुछ साफ हो पाएगा।

रविवार को गिरा था ये पुल 

बिहार के भागलपुर जिले के खगड़िया के अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच गंगा पर बन रहा पुल रविवार को गिर गया था। पुल के 4 पिलर भी नदी में समा गए थे। पुल का करीब 192 मीटर हिस्सा नदी में गिरने से तेज धमका भी हुआ था। हादसे के समय मजदूर वहां से 500 मीटर दूर काम कर रहे थे। इतना बड़ा स्ट्रक्चर गिरने से गंगा नदी में कई फीट ऊंची लहरें उठीं। इससे नदी में नाव पर बैठे लोग सहम गए थे।

पुल का शिलान्यास 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। पुल का निर्माण 2015 से चल रहा है। इसकी लागत 1710.77 करोड़ रुपए है। इस निर्माणाधीन पुल का स्ट्रक्चर पिछले साल भी नदी में गिर गया था। तीन पिलर्स के 36 स्लैब यानी करीब 100 फीट लंबा हिस्सा भरभराकर ढह गया था। रात में काम बंद था, इसलिए जनहानि नहीं हुई थी। उस समय पुल निगम के एमडी के साथ एक टीम ने वहां जाकर जांच भी की थी

नुक्सान सरकार नहीं ठेकेदार को भरना होगा 
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस पूरे मामले में कहना है कि स्ट्रक्चर टूटने का जो नुकसान आया है वह सरकार पर नहीं ठेकेदार पर आएगा। जब इससे पहले भी पुल गिरने की घटना हुई थी, तब भी हम आशंका में थे कि हमें सभी सेगमेंट की जांच करानी चाहिए। रिव्यू मीटिंग भी की गई। IIT रुड़की ने 30 अप्रैल 2022 में पुल गिरने का कारण आंधी तूफान बताया। इसके डिजाइन में पहले से ही फॉल्ट था, इसे पूरे तरीके से ध्वस्त करके फिर से कार्य प्रारंभ करने का हमारा निर्णय था।