Friday, April 26, 2024
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36वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में विदेशी कलाकारों की धूम , पूर्वोत्तर राज्यों के  हस्तशिल्पी दर्शा रहे हैं उत्पाद 

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फरीदाबाद, 4 फरवरी ( धमीजा ) : अंतर्राष्ट्रीय मेले में आज विदेशी कलाकारों की धूम रही। मुख्य चौपाल के मंच पर आज मेडागास्कर, किर्गीस्तान, युगांडा, घाना, कजाकिस्तान आदि के कलाकारों ने ऐसा रंग जमाया कि हजारों की तादाद में दर्शक झूम उठे।
शनिवार को 36वें अंतर्राष्ट्रीय मेले में आज काफी रौनक देखने को मिली। फूड कोर्ट में जहां एक ओर लोग असम, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, केरल आदि राज्यों व्यंजनों का आनंद ले रहे थे, वहीं दूसरी तरफ  फूड कोर्ट से नीचे मेन रोड पार करते ही बड़ी चौपाल के मंच पर विदेशी कलाकार अपनी प्रतिभा से दर्शकों का जमावड़ा लगाए हुए थे। यहां मेडागास्कर के कलाकारों ने अपने मस्ती भरे नृत्य से दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। सीटी और तालियों के साथ उनके कार्यक्रम का समापन हुआ। किर्गीस्तान के कलाकारों ने जब  कोम्बोज साज पर अपनी तान छेड़ी तो श्रोता वाहवाही करने लगे। यहां के युवाओं और युवतियों को बचपन से ही इस साज को बजाने की ट्रेनिंग दी जाती है। घाना देश के कलाकारों ने वाकामानसा डेमो नृत्य से अपनी खुशियों का इजहार किया। उन्होंने बताया कि शिल्पकार  की सफलता पर इस नृत्य को किया जाता है। युगांडा के लोक कलाकारों का डांस भी देखने लायक था। लय और ताल के साथ उनकी भाव.भंगिमाएं दर्शकों को काफी पसंद आई।
 
पूर्वोत्तर राज्य दर्शा रहे हैं हस्तशिल्प उत्पाद 
हस्तशिल्प मेला के थीम स्टेट पूर्वोत्तर के 8 राज्यों की हस्तशिल्प उत्पादों का बांस से निर्मित उत्तर पूर्व पवेलियन में प्रदर्शन किया गया है। इन आठ राज्यों की  परंपरागत शिल्प कला का अनूठा नमूना इस पवेलियन में देखने को मिल रहा है। विशेषकर महिलाएं इस पवेलियन के उत्पादों में विशेष रूचि ले रही हैं। उत्तर पूर्व जोनल सांस्कृतिक केंद्र की समन्वयक पपली गोगोई के नेतृत्व में इन आठ राज्यों की टीमों में दो-दो शिल्पी शामिल हैं।
36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में थीम स्टेट के तहत पूर्वोत्तर के आठ राज्यों सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, अरूणाचल प्रदेश तथा मिजोरम के परंपरागत शिल्प उत्पादों में पर्यटक रूचि दिखा रहे हैं। हस्तशिल्प मेला में प्रथम बार इन राज्यों को थीम स्टेट के रूप में एक छत के नीचे लाया गया है। इन राज्यों की टीमों में एक-एक मास्टर ट्रैनर एवं एक-एक शिल्पी को शामिल किया गया है। जो मौके पर अपनी शिल्पकला का प्रदर्शन कर रहीं हैं।
पूर्वोत्तर पवेलियन में सिक्किम की परंपरागत शिल्पकला टांका, असम की शिल्पकला, मेघालय की ऊन के समान धागे से बनी ऐरी तथा एक्रेलिक के उत्पाद, नागालैंड की शॉल क्यूशन कवर, त्रिपुरा की रिशा, फसरा, वैस्कॉट, मणिपुर के प्योर कॉटन से बने शॉल, मेकला, रनर्स, अरूणाचल प्रदेश के विशेषकर महिला शिल्पकारों व बुनकरों के उत्पाद व मिजोरम के शिल्पकारों के बैगए शॉलए लेडी पर्स,  किड्स वियर, पारंपरिक आभूषण आदि उत्पाद भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।Explore The Richness Of Diversity @ The Surajkund Mela 2023

पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की शिल्पकला से जुड़ी जानकारी
प्राचीन काल में सिक्किम के नेपचा समुदाय द्वारा स्टिनजिंग नेटल के पौधे से बुने गए धागे से बने कपड़ों का प्रयोग किया जाता था। वर्तमान में यहां के लोग कॉटन ओर ऊनी धागे का वैजीटेबल डाइज एवं सिन्थेटिक कलर का एक साथ प्रयोग करते हैं। असम के पारंपरिक हैंडलूम के बारे में राष्ट्रपिता महात्मा गंाधी के खादी व स्वदेशी उत्पादों को बढावा देने के लिए असम दौरा के दौरान कहा था कि आसाम की महिलाएं अद्भुत कपड़े बुनती हैं। मेघालय में गारो महिलाओं का कपड़ा बुनना पारंपरिक व्यवसाय है। यहां का एंडी सिल्क (ईएनडीआई सिल्क) टेक्सचर एवं टिकाऊ पन के लिए प्रसिद्ध है।
त्रिपुरा में ग्रामीण महिलाएं कपड़ा बुनाई को प्राथमिकता देती हैं। वे अपनी पारंपरिक वेशभूषा के हिस्सों रेशा व रिनाई को स्वयं बुनती हैं। नागालैंड में बुनाई का कार्य सभी आयुवर्ग एवं समुदायों की महिलाओं द्वारा विशेष रूप से किया जाता है। मणिपुर विशेष तौर पर मोएरेंगफी, लीरम, लेंसिगफी तथा फैनक फैब्रिक्स मुख्य रूप से प्रसिद्ध है। मिजोरम में बुनाई लोगों के सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अरूणाचल प्रदेश का गैलो गीत कॉटन उत्पादन की पूरी कहानी कहता है। यह गीत गांव की लड़कियों द्वार नृत्य द्वारा गाया जाता है। कपड़ा बुनना अरूणाचल प्रदेश के लोगों के लिए प्राचीन कला रहा है। इस प्रदेश की महिलाएं अच्छी बुनकर हैं तथा उनमें रंग के चुनाव और डिजाईन की अच्छी परख है।